OROP विश्लेषण और संभव निराकरण : सरकार की इच्छा शक्ति की कमी

सभी पूर्व सैनिक भाइयों का वाजिब दर्द OROP की विसंगतियों को लेकर झलक रहा है। यह भी सही है कि पूर्व सैनिकों के एक वर्ग JCOs ,OR तथा hony commission अफसर के साथ इस OROP के नाम पर बड़ा भेद भाव किया गया है, वह चाहे पेंशन को लेकर हो या डिसेबिलिटी की बात हो, फिर सातवें वेतन आयोग द्वारा पे मैट्रिक्स लेवल निर्धारण में सिपाही लेवल four यानी 4 पर आता तब SM 9 पर स्वतः ही चला जाता। यह दिगर बात है कि नायब सूबेदार सही माने में ग्रेड II gazetted श्रेणी में है तब लेवल 8 पर होना चाहिए था, जबकि अब SM लेवल 8 पर है। OROP की वजह से ही hony Nk और Hony Hav की पेंशन जो कि रेगुलर से सिर्फ एक रुपया काम होती थी आज hony Nk को सिपाही के बराबर कर दिया गया और Hav की पेंशन और hony है की पेंशन में 529 रुपए का फर्क डाल दिया गया। इस वीडियो में एक भाई ने शहीद होने वाले सिपाही के पेंशन याने LFP की विसंगती की भी बात की है, सही फरमाया कि सन 1972 की LFP की पॉलिसी के मुताबिक शहीद चाहे 2 साल नौकरी वाला हो या 8 साल नौकरी का सिपाही, उनकी पेंशन का निर्धारण पूरी सर्विस मानते हुए यानी 15 या 17 साल की LFP उनकी वार विडो को दी जाती रही है, पर अब OROP के बाद ऐसा नहीं है। दर असल आरोप वन तथा आरोप 2 जो कि क्रमश सर्कुलर नंबर 555 और 666 द्वारा टेबल्स बनाकर जारी की गई है वह इसकी मूल भावना या मकसद से भटक गई है। उक्त टेबल्स PCDA P के ट्रेंड स्टाफ ने कतई नहीं बनाई हैं। यह बात CGDA से कन्फर्म हो चुकी है। मुख्य वजह OROP का फॉल्टी निर्धारण इस मैक्समम और मिनिमम का औसत लेकर तय करने की वजह से हुआ है जो कि गलत फार्मूला था, चूंकि हमारी पेंशन की अपर स्केल लेकर आरोप तय करनी थी, यह इसलिए कि JCOs v OR पूरी सर्विस पॉलिसी के तहत 60 साल की उम्र तक नहीं कर सकते। दूसरी तरफ सर्विस वेटेज भी खत्म कर दी गई, इसलिए जरूरी था कि OROP लास्ट ड्रॉन का या तो 70 से 75 प्रतिशत और साथ ही पेंशन नोशनल पे फ्रॉम टॉप ऑफ द टेबल याने मैक्सिमम की आधी पेंशन हो, या फिर 60 की उम्र तक की नौकरी की गणना कर वेतन की आधी हो। यहां OROP में दोनो ही फैक्टर संज्ञान में नहीं लिए गए। अगर इसका ध्यान रखा होता तब डिसेबिलिटी और LFP का भी कुछ समाधान हो जाता। डिसेबिल्टी और वार इंजरी पेंशन में भी भेदभाव सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट बदलने से ही हुआ है। MSP भी यकीनन बड़ा फैक्टर है कि बॉर्डर पर विषम परिस्थितियों में नौकरी की वजह से दी जाने वाली MSP अब जवानों की वाजिब मांग के अनुसार बराबर ही देनी चाहिए। इससे पेंशन में जो भारी भेदभाव और गैप अफसर वी निचली रैंक्स के मध्य हो गया है, उसमें कुछ सुधार हो जायेगा। कुछ इसलिए कि पूर्ण सुधार तब होगा जब पे मैट्रिक्स लेवल सिपाही से लेकर hony कमीशन अफसर तक का बढ़ेगा। इस दौरान। Hony naib सूबेदार जो 06 से पहले के हैं उनके साथ भी भेदभाव है। अब एक नया विवाद एक्स ग्रुप की भी पेंशन टेबल्स नंबर07 और 8 की अलग अलग होने की वजह से भी हो गया है। जरूरी है कि इन सभी बातों का MoD , भारत सरकार द्वारा वक्त रहते संज्ञान लेना चाहिए ताकि पूर्व सैनिकों को उनका वाजिब हक मिल सके। धन्यवाद। लियाकत।