DA discrimination with jcos/jawan – Govt action require urgently

महोदय,

डीए | पूर्व मे डीए का पे स्केल के अनुसार 3 स्लैब था | उदाहरणस्वरूप 1.7.86 को 3500 तक पे वालों को 4%, 3501 से 6000 तक 3% और 6001 से ऊपर वालों को 2% था | इस तरह डीए के रूप मे कैश इन hand सभी पे स्केल वालों को लगभग बराबर या मामूली अंतर से मिलता था | लेकिन 4th वेतन आयोग के बाद बड़े पद वालों ने अपने फायदे के लिए सभी पे स्केल वालों का डीए एक ही स्लैब मे रख दिया और अपने पे स्केल मे भी काफी अंतर करवा लिया | इस तरह अगर 1% डीए बढ़ता है तो 01 लाख पे/पेंशन पाने वालों को 1000रु डीए का मिलेगा जबकि 9000/ न्यूनतम पेंशन पाने वाले जवानो और जवानो की विधवाओ को मात्र 90रु मिलेगा जबकि महंगाई सबके लिए एक समान है | ये घोर अन्याय है और सरकार को इस विसंगति को दूर करना चाहिए | अगर डीए के लिए तीन -चार स्लैब बनाकर पहले की तरह सरकार डीए देती है तो यह न केवल न्यायपूर्ण होगा बल्कि सरकार के खजाने पर बोझ भी कम होगा सरकार को निचले रैंक, विधवाओ, विकलांग सैनिक जो की पूरी तरह पेंशन पर निर्भर है, के डीए को रोकने की नौबत नहीं आएगी |
सेना प्रमुख सैनिको और पूर्व सैनिको को मीडिया के माध्यम से कह रहे थे कि COVID 19 के संकट के कारण डीए को रोका गया है और सहयोग मांग रहे थे | मै सेना प्रमुख से अपील करता हु कि हजारो करोड़ रुपये जो कैंटीन प्रॉफ़िट और रेगिमेंटल अकाउंट के अंतर्गत आने वाले विभिन्न head मे यूनिट और FORMATION मे पड़ा हुआ है, इस संकट काल मे सरकार को दे दे क्योकि वो पैसा जवानो के subscription और सरकारी संसाधन का उपयोग कर बनाया गया है |
अतः अपील है कि सेना प्रमुख कैंटीन प्रॉफ़िट सहित सभी प्राइवेट फ़ंड को सरकार को देने की कृपा करे और संभव है तो पूरी तरह पेंशन पर निर्भर सेना के निचले रेंक के सैनिको ,वीर नारियो और डिसबिलिटी पेंशनधारी सैनिक के डीए को न रोका जाए | डीए को 3 से 4 स्लैब बनाकर दिया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके और सरकार के खजाने पर भी बोझ कम हो |