INDIAN EX SERVICEMEN LEAGUE (IESML) AND ITS COLONIAL FUNCTIONS

क्या इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग गुलामी की निशानियो/कानून/रीति रिवाज का वाहक है ? संगठन के एक पदाधिकारी ने IESL का एक मेम्बरशिप फॉर्म भेजा है जिसमे अधिकारी नियंत्रित इस संगठन के फॉर्म पर रॉयल कॉमनवेल्थ एक्स सर्विसमैन लीग लंदन के साथ सम्बद्ध दिखाया गया है | स्वाभिमान राष्ट्र गुलामी के निशानियो को सहेज कर नहीं रखता बल्कि उसको नष्ट करता है और नियम कायदे कानून अपने नागरिको की सुबिधाओं को ध्यान में रखकर बनाता है लेकिन अफ़सोस भारतीय सेना/स्वतंत्र भारत की सरकारे अपने सेवारत और सेवानिवृत्त जवानों के साथ अंग्रेजो के बनाये कानून, रीति रिवाज और अंग्रेजी मानसिकता के तहत शासन करती है | भारत के जे.सी.ओ/एन.सी.ओ/जवानों को इसी मकरजाल को भेदना होगा और अपने विधिसंबत हर तरह के अधिकारों को हासिल करना होगा | इसी उद्देश्य से वौइस् ऑफ़ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी का गठन किया गया है | आप सबसे निवेदन है कि इस संगठन की सदस्यता लेकर संगठन को मजबूत करे | संगठन की मजबूती सरकारों को अधिकारी केन्द्रित निति बदलने के लिए मजबूर करेगी | अधिकारी नेतृत्व वाले संगठनो से बाहर आये और संगठन के वेब साईट www.voiceofexservicemen.org पर जाकर सदस्यता फॉर्म भरे |
Is the Indian Ex Serviceman league a carrier of slavery / law / customs?. Membership form of the IESL show it affiliation with the Royal Commonwealth Ex Serviceman League London. Self respecting nation does not save the mark of slavery but destroy it and make rules keeping the interest of it citizen. But serving /retired JCOs/NCOs/ORs of armed forces are still governed by rules /custom framed by the Britishers. we JCOs/NCOs/ORs have to break the chain of slavery and fight for our legitimate rights. Voice of Ex Servicemen Society has been raised for the purpose. ESMs are requested to leave the organisations headed by officers and take the membership of this organisation to strengthen it. Strength of the organisation will compel Govt to change officer centric policy will have to give our all legitimate and democratic rights.