A brief history of indo pak war 1971-
1971 की युद्ध दो देशों के बीच लड़ाई नही थी वनिस्पत यह लड़ाई दानवता से मानवता के बीच की लड़ाई थी। पाकिस्तान के शासन करने वाले पूर्वी पाकिस्तान के अपने ही भाई के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करता था। उन्हे प्रताड़ित करता था और बहन बेटियों के इज्जत के साथ भी खिलवाड़ करता था। तब बांग्लादेश के जनक कहे जाने वाले प्रभावशाली राजनयिक मुजीबुर्रहमान ने मुक्ति वाहिनी नामक एक सेना की गठन किया जिससे बंगलादेश के बहन बेटियों का इज्जत बचाया जा सके। लेकिन फिर भी पाकिस्तान का जुल्म इतना था कि पूर्वी पाकिस्तान के करीब 10 लाख लोग भाग कर भारत आ गया। तब भारत ने मुजिरबुर्रहमान और 10 लाख पूर्वी पाकिस्तान की रक्षा के लिए मजबूरन पाकिस्तान से युद्ध किया। और इस युद्ध में भारत के हजारों सैनिक शहीद हुए और दर्जनों युद्ध बंदी भी। यह युद्ध पाकिस्तान ने खुद ही 3 दिसंबर 1971 को पठानकोट में एयरस्ट्राइक और अन्य सीमावर्ती क्षेत्र से शुरू की थी और 4 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना टैंको से लोंगेवाल क्षेत्र में प्रवेश की।
अंततोगत्वा 16 दिसंबर 1971को जनरल नियाजी ने लेफ्टिनेंट जनरल निर्मलजीत सिंह आरोड़ा के सामने 93000 पाकिस्तान सैनिक के साथ आत्म समर्पण कर दिया।
1971 की युद्ध पूरी श्रेय जनरल मानिकसाव के नेतृत्व को जाता है क्योंकि युद्ध जितने की सारी रणनीति उन्होंने बनाया था।
तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के बाबजूद भी तीन गलती की जिसे भारतीय सेना और देश की जनता आज तक कोश रही है।
पहला 1971 के युद्ध के सर्वोच्च सेनापति जनरल मानिक्सव का पेंशन रोकना जिसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपने शासन काल में रोकी हुई पेंशन को दिलवाई।
दूसरी गलती भारत के सैनिक की पेंशन को 75% से घटा कर 50% करना।
तीसरी गलती हमारे देश के 54 युद्धबंदी को स्व.इंदिरा गांधी जी द्वारा संज्ञान नहीं लेना जबकि BBC के पत्रकार विक्टोरिया शफील्ड अपने द्वारा लिखित पुस्तक भुट्टो ट्रायल एंड एक्जीक्वेशन में 54 युद्ध बंदी का जिंदा होने का जिक्र किया था। मिसिंग डिफेंस पर्सनल एसोसिएशन के पूरी कोशिश के बाद भी जब 54 युद्ध बंदी वापिस न हुए तो अक्टूबर 2021 में वॉइस ऑफ EXSERVICEMEN के राष्ट्रीय संजोजक श्री वीर बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
GOLDEN JUBILEE CELEBRATION OF 1971 WAR VICTORY BY INDIA AT KRISHNA ENGG COLLEGE BY SEEMA JAGRAN ALONGWITH THE MEMBERS OF VOICE OF EXSERVICEMEN SOCIETY (REGTD)
On 12 Dec 21on completion of 50 years, Voice of ex-servicemen society(regtd) celebrated golden jubilee at Krishna Engg College, Ghaziabad along with Seema Jagran Manch. Few military warriers who directly involved in 1971 war shared their autobiography. Colonel Kaisar Alam, a war hero of 1971 actively led the indian tank in Longewala border.
Amazing strategies of their brigade hold the pak troop for a night and early morning with the help of Airforce Dakota only fighter aircraft of that time thrashed more than 3 dozen tanks of Pakistan military. Salute to all Jawans/jcos for his bravery !
Chief guest Lt General Vinod Bhatia just passed out cadet in 1971 , Lt General Nitin Kohli, Prof Bagi of DU and few speaker/members like Hemendra, president Gzb Seema Jagran left the genuine questions before citizen of india.
(1) What is outcome of 1971 war in the favour of Army Men especially jawans/jcos who lost their lives in number of 4000 approx and 7000 approx of injured soldiers.
Purvi Pakistan (now Bangladesh) should not be a state of india.
We will appeal to all political members of India and present govt to resolve the subject issue as well as all matter pending in Hon Delhi High Court , AFT(PB) out of judiciary and prove their worthiness before the 135 crores tax payers citizen of India.