GOI & Bihar discriminate even with family of Martyr(shahid)- Ministry to action on top priority

राष्ट्रीय शर्म | सेना के निचले रैंकों के शहीद सैनिको के परिवारों का रक्षा मंत्रालय एवं राज्य सरकारों की उपेक्षा रास्ट्रीय शर्म का विषय है | 9 बिहार के हवलदार विनोद कुमार तिवारी 01 अक्टूबर 2000 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए | बिहार सरकार के 14/15 अगस्त 1972 के शासनदेश के अनुसार वीरगति प्राप्त सैनिको के आश्रित को 5 एकड़ खेती की भूमि एवं साढ़े 12 डिसमिल आवासीय भूमि देने का प्रावधान है | शहीद विनोद कुमार की पत्नी आशा तिवारी पिछले 18 साल से जिलाधिकारी, सैनिक बोर्ड, बिहार रेजिमेंटल सेण्टर दानापुर का मात्र 12 डिसमिल आवासीय भूमि के लिए चक्कर लगा लगा कर बीमार हो चुकी है और मानसिक रूप से टूट चुकी है लेकिन बेशर्म शासक वर्ग उनको जो जगह आबंटित करता है वो पहले से ही किसी और के कब्जे में होता है | पश्चिम चंपारण जिले के जिलाधिकारी का शहीद की पत्नी के साथ क्रूर मजाक राज्य सरकार की सम्बेदन्हीनता दिखता है | शहीद के पत्नी के दास्ताँ सुनिय उन्ही के जुबान में | एक जुम्मेदार नागरिक होने के कारण आपका सिर शर्म से झुक जायेगा | शहीद का घर गंडक नदी के कटान की वजह से नदी में समां गया है और इस वीर नारी को उनके पिता ने अस्थायी तौर आवास दिया है जहा रहकर वह अपने बच्चो को पढ़ा लिखा रही है | रक्षा मंत्रालय भारत सरकार का रवैया तो बेशर्मी की हद पार कर गया है | आज तक शहीद के बच्चों की शिक्षा के लिए एक रुपया भी ग्रांट रक्षा मंत्रालय ने नहीं दिया है जबकि वो सैकड़ो बार जिला सैनिक बोर्ड एवं दानापुर रेजिमेंटल सेंटर का चक्कर लगा चुकी है |

रक्षा मंत्री एवं बिहार के मुख्य मंत्री से मांग है कि कृपया शहीद की पत्नी को तत्काल साढ़े १२ डिसमिल भूमि आवास के लिए उपलब्ध कराई जाये एवं एजुकेशन ग्रांट/कन्सेशन का सभी भुगतान तत्काल किया जाये |

26.2.2019 को वौइस् ऑफ़ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी के दानापुर में मीटिंग के दौरान शहीद की पत्नी का दास्ताँ रिकॉर्ड किया गया जो की प्रधान मंत्री, रक्षा मंत्री एवं मुख्य मंत्री बिहार को आवश्यक करवाई के लिए भेजा जा रहा है |

समस्या का समाधान न होने पर पश्चिम चंपारण में जिला मुख्यालय कार्यालय पर पर्दशन किया जायेगा |