COURT NEWS ON DISCRIMINATED MULTIPLYING FACTOR 2.57(JAWANS/JCOS) VERSUS 2.82 (COMMISSIONED OFFR)

  1. Multiply factor 7 CPC. Armed Forces Tribunal does not allow organisations to file a case. The related section of the Armed Forces Tribunal Act is undemocratic and does not conform to the sentiments of the Constitution and to some extent violate human rights . All the courts except the AFT accept the writ of the organization. About 48 lakhs serving /retired JCOs/NCOs/ORs aggrieved by the decision of the 7 CPC to grant rank wise multiply factor from 2.57 to 2.81, cannot go to court individually. Accordingly, in the larger interest of JCOs/NCOs/ORs, widows and disabled soldier, Voice of Ex Servicemen Society filed case in Delhi High Court to grant equal rate of multiply factor to all serving/retired personnel irrespective of rank. The Delhi High court directed us to go to AFT . Accordingly, we filed case in AFT Delhi but the AFT did not accept petition in the name of organisation vide their order attached. Unless organisation is become party, general order cannot be issued in any matters and now High Delhi court declined to intervene in the matter being Supreme Court jurisdiction . Hence, organisation has decided to file a case in Supreme Court challenging the relevant section of Armed Forces Tribunal Act so that organisations can files cases in AFT. This is the only way to save our brothers from all type of troubles. Do not forget to take membership of this organisation. Visit www.voiceofexservicemen.org and fill up online membership forms.
    Multiply factor 7वा वेतन आयोग | संगठन को केस फाइल करने की अनुमति आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल नहीं देता है | आर्म्ड फाॅर्स ट्रिब्यूनल एक्ट की सम्बंधित धारा अलोकतांत्रिक है एवं संबिधान की भावना के अनुरूप नहीं है और कुछ हद तक मानवाधिकार का भी उलंधन है | AFT को छोड़कर सभी कोर्ट संगठन के रिट को स्वीकार करती है |48 लाख सेवारत एवं रिटायर्ड सैनिक ७ वे वेतन आयोग के रैंक के अनुसार MULTIPLY फैक्टर जो कि 2.57 से लेकर 2.81 तक है, देने के निर्णय के खिलाफ ब्यातिगत रूप से कोर्ट में नहीं जा सकते है | जब तक संगठन नहीं जायेगा जनरल आर्डर जो सभी पर लागु हो , कोर्ट जारी नहीं कर सकता | JCOs/NCOs/ORs, विकलांग सैनिक एवं विधवाओं के ब्यापक हित का ध्यान रखते हुए वौइस् ऑफ़ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी ने हाई कोर्ट दिल्ली में सभी रैंक को एक दर से multiply फैक्टर देने का केस फाइल किया जिसपर कोर्ट ने AFT में केस फाइल करने के लिए कहा | AFT ने नियमों का हवाला देकर संगठन के केस को स्वीकार नहीं किया और कहा की सैनिक और पूर्व सैनिक ब्याक्तिगत रूप से कोर्ट आ सकते है और हाई कोर्ट ने भी AFT के इस निर्णय में हस्तक्षेप करने से इसलिए माना कर दिया कि ये सुप्रीम कोर्ट के कार्यक्षेत्र में है | संगठन ने निर्णय लिया है कि आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल एक्ट के उस धारा को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे जिसके अंतर्गत संगठन AFT में केस फाइल नहीं कर सकता | जवान/जे.सी.ओ के काफी समस्याओं के यही इलाज है | कृपया संगठन के वेबसाइट www.voiceofexservicemen.org पर जाकर संगठन की सदस्श्यता lena na bhule.